दिवाली जिसे दीपों का त्योहार कहा जाता है प्रत्येक वर्ष नवंबर या अक्टूबर के बीच मनाई जाती है। दिवाली भारत का सबसे बड़ा त्यौहार है। दिवाली पर माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताएंगे की दिवाली में आपको किस मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए जिससे आपको लाभ हो। यदि आप किसी आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हैं और आपका समय अच्छा नहीं चल रहा है तो इस पोस्ट को पूरा देखिएगा जिससे आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। इस वर्ष 2024 में आपको 31 अक्टूबर या 1 नवंबर किस दिन दीपावली माननी चाहिए चलिए इसके बारे में विचार करते हैं।
किस दिन मनाऐ दिवाली 31 अक्टूबर को या 1 नवंबर को?
हर साल दीपावली कार्तिक मास के अमावस्या को मनाई जाती है। इस वर्ष अमावस्या तिथि का प्रारंभ 31 अक्टूबर को दोपहर 3:52 और 1 नवंबर को शाम को 6:16 पर खत्म हो जाएगी। दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व रहता है। यदि आप सही मुहूर्त पर मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं तो आपके घर में कभी भी लक्ष्मी की कमी नहीं होगी एवं घर में सकारात्मक ऊर्जा आएगी। दिवाली मनाने की सबसे श्रेष्ठ तिथि 1 नवंबर रहेगी। हमें ऐसा कई बार देखने को मिलता है कि एक तिथि दो दिन में बट जाती है परंतु शास्त्र के अनुसार हमें 1 नवंबर को ही दिवाली पूजन करना चाहिए। चलिए आगे जानते हैं हमें किस मुहूर्त पर दिवाली पूजन करना चाहिए।
दीवाली पूजा मुहूर्त 2024
(दिपावली) श्री महालक्ष्मी पूजा-दीपोत्सव वि-से-2081 कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि शुक्रवार दिनांक 1/11/2024 को मनाई जायेगी।
दीपावली श्री महालक्ष्मी पूजन का समय –
लाभ मुहूर्त – 9:07 PM से 10:44 PM
शुभ मुहूर्त – 12:24 PM से 3:36 PM
चंचल बेरा मुहूर्त – 3:36 PM से 5:14 PM
प्रदोष काल – 05:36 PM to 08:11 PM
वृश्चिक काल – 06:20 PM to 08:15 PM
अमावस्या तिथि प्रारंभ – 03:52 PM on Oct 31, 2024
अमावस्या तिथि समाप्त – 06:16 PM on Nov 01, 2024
दीवाली के दिन, लोगों को सुबह जल्दी उठकर अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देना और परिवार के देवी-देवताओं की पूजा करना चाहिए। चूंकि यह अमावस्या का दिन है, इसलिए लोग अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध भी करते हैं। पारंपरिक रूप से, अधिकांश पूजा दिनभर के उपवास के बाद की जाती हैं। इसीलिए, देवी लक्ष्मी के भक्त लक्ष्मी पूजा के दिन पूरा दिन उपवास रखते हैं, जो शाम को पूजा के बाद तोड़ा जाता है।
लक्ष्मी पूजा कैसे करें: पूर्ण जानकारी
देवी लक्ष्मी धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। इस दिन उनकी पूजा से भक्तों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। पूजा से घर में शांति, समर्पण और सुख का वातावरण बनता है। दीवाली का यह पर्व अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है। पूजा के लिए एक पवित्र और साफ स्थान चुनें। आमतौर पर यह स्थान घर का पूजागृह होता है। पूजा स्थान को फूलों, रंगोली और दीपों से सजाएं। विशेष रूप से, रंगोली बनाने से वातावरण को सौंदर्य मिलता है।
पूजा सामग्री की विस्तृत सूची:
दीपक: मिट्ट के 13 दीपक।
फल और मिठाई: केला, अनार, आम, नारियल, लड्डू, बर्फी आदि।
पूजा में चावल, मूंग और मसूर की दाल का उपयोग करें।
पत्ते: तुलसी के पत्ते।
पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद मिलाकर बनाया गया पंचामृत भी अर्पित करें।
लक्ष्मी पूजा के साथ-साथ, इस दिन भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है। यह लक्ष्मी पूजा के साथ जोड़कर समृद्धि और सुख की कामना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लक्ष्मी पूजा का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सामाजिक उत्सव भी है जो परिवार और मित्रों के साथ मिलकर मनाने का अवसर प्रदान करता है। इस पूजा से घर में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होता है।