व्रत करने के सामान्य और महत्वपूर्ण नियम – किसी भी चीज को करने के लिए एक विधि होती है उसी प्रकार एक व्रत को करने के लिए और उस व्रत का पूरा फल प्राप्त करने के लिए हमे कुछ सामान्य और महत्वपूर्ण नियमो का पालन करना पड़ता है
जिससे की वो व्रत जिस कार्य को पूरा करने के लिए किया गया है वो पूर्ण रूप से सम्पन हो सके | आज हम कुछ ऐसे सामान्य और महत्वपूर्ण नियम को जानेगे जिनको आप किसी भी प्रकार के व्रत को करते समय ध्यान मे रखेंगे और उनकी पालना करेंगे | तो आईये जानते है व्रत करने के कुछ सामान्य और महत्वपूर्ण नियम
व्रत करने के सामान्य और महत्वपूर्ण नियम
पहला – व्रत के दिन सूर्य निकलने से 1 या 2 घंटा पहले हमे उठ जाना चाहिए और उसके बाद हमे अपने नित्य कर्म जैसे शौच और स्नान कर लेना चाहिए |
दूसरा – उसके बाद हमे बिना कुछ खाये-पिये जिस भी देवता या भगवान का हमने व्रत किया है उन देवता या भगवान को सबसे पहले प्रणाम करते हुए अपनी जो भी इच्छा/मनोकामना या अभिलाषा है उसका निवेदन करते हुए अपने व्रत का प्रारम्भ करना चाहिए

तीसरा – व्रत के दिन हमे दुसरो के प्रति क्षमा का भाव रखना चाहिए उस दिन हमे कोई भी असत्य वचन नहीं बोलना है अर्थात सत्य वचन ही बोलना है और व्रत के दिन हमे किसी भी एक वस्तु का दान करना है और सभी जीवो के ऊपर दया का भाव रखना है
चौथा – व्रत के दिन हो सके तो सुबह के अलावा शौच नहीं करना चाहिए और किसी भी गलत आदत को करने से बचना चाहिए | इसके साथ हमे किसी के साथ अहिंसा नहीं करनी चाहिए और संतोष और धैर्य रखना चाहिए उसके साथ हमे झूठ भी नहीं बोलना है |
पांचवा – जिस देवता या भगवान का व्रत हो उनकी विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए और हो सके तो हवन भी करना चाहिए और उसके बाद अपनी इच्छा/मनोकामना या अभिलाषा है उसका निवेदन करते हुए पूजा या हवन का समापन करना चाहिए |
छठा – यदि व्रत के दिन आपके घर मे सूतक हो जाये तो किसी अन्य व्यक्ति या किसी ब्राह्मण से वो व्रत सम्पन करवाना चाहिए | यदि कोई औरत या इस्री व्रत कर रही है और उनको बुखार आ जाये या किसी अन्य कारण से व्रत करने मे असफल हो तो वो किसी एक प्रतिनिधि जैसे की अपने पुत्र, बहन, भाई, मित्र, या किसी ब्राह्मण से भी वो सम्पन करवा सकती है | पति और पत्नी दोनों एक दूसरे के जीवन मे एक दूसरे के प्रतिनिधि होते है इसलिए एक पति अपनी पत्नी का व्रत सम्पन करवा सकता है या एक पत्नी अपने पति के व्रत को पूरा कर सकती है |
सातवा – यदि कोई महिला व्रत के दिन या व्रत करते समय रजस्वला अवस्था यानी की पीरियड्स मे हो जाये तो वो व्रत तो स्वयं करे लेकिन व्रत की कथा, व्रत की पूजा, और उस दिन का दान और बाकी कार्य अपने प्रतिनिधि से करवाए |
आठवा – किसी भी व्रत या उजमने मे यह जरुरी नहीं है की हम सोने या चाँदी का दान करे या सोने या चाँदी की मूर्ति की पूजा करे हमे अपनी आर्थिक स्थिति को सर्वप्रथम रखते हुए दान पुण्य करना है और अगर जिस देवता या भगवान का व्रत है उनकी मूर्ति आपके घर में नहीं है तो मूर्ति की जगह हम उन भगवान या देवता के चित्र का भी परियोग कर सकते है |
नोवा – अधिकतर व्रत मे हमे शाम को चन्द्रमा जी को अरग और भोग देकर और उनकी पूजा करके और उनका दोहा बोलके व्रत को खोलना चाहिए |
दसवा – सभी व्रत मे कहानि को कहने के बाद श्री गणेश जी की कहानी कहनी चाहिए और उनकी पूजा करके उनको भोग लगाना चाहिए क्योकि किसी भी काम की शुरुवात श्री गणेश भगवान से ही होती है और श्री गणेश भगवान से ही अंत होती है |