पापमोचनी एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि – आज हम चैत्र मास/महीने में आने वाली पापमोचनी एकादशी के बारे में विस्तार से जानेगे | इसका व्रत और पूजा विधि जानेगे और कथा भी सुनेगे |

पापमोचनी एकादशी का व्रत कब करे – यह व्रत चैत्र कृष्ण एकादशी को किया जाता है।

व्रत की पूजा विधि – इस दिन आपको सुबह जल्दी उठ कर नहा धो कर बिना कुछ खाये पिए और बोले भगवान विष्णु को अर्घ्य देकर तथा उनको चन्दन और कुमकुम का तिलक लगाकर पूजा करे और फिर अपनी मनोकामना को मांग कर व्रत का आरम्भ करे।

महत्वपूर्ण – प्रत्येक व्रत में आपको कुछ सामान्य और महत्वपूर्ण नियमो का पालन करना पड़ता है उन नियमो को जानने के लिए इस लिंक पर जाये |

पापमोचनी व्रत हमे क्यों करना चाहिए और उसका महत्त्व – इस व्रत को करने से आपके द्वारा अनजाने में किये गए पाप नष्ट हो जाते है इसलिए हमे ये व्रत करना चाहिए |

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा कहानी और पूजा विधि
पापमोचनी एकादशी व्रत कथा/कहानी

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा – प्राचीन समय में चित्ररथ नामक अति रमणीक और सुन्दर वन था। उसी वन में देवराज इन्द्र गंधर्व कन्याओं व देवताओं सहित स्वछंद विहार करते थे। मेधावी नामक ऋषि भी यही तपस्या करते थे। ऋषि शैवोपासक तथा अप्सराएँ शिवद्रोहिणी अनंग दासी (अनुचरी) थी। एक समय की बात है कि रतिनाह कामदेव ने मेधावी मुनि को तपस्या भंग करने के लिये मंजुकोषा नामक अप्सरा को नृत्य गान करने के लिये उनके सम्मुख भेजा।

युवा अवस्था वाले ऋषि अप्सरा के हाव-भाव, नृत्य, गीत पर काम मोहित हो गए। रति क्रीड़ा करते हुए 57 वर्ष बीत गए। मंजुघोषा ने एक दिन स्वस्थान जाने की आज्ञा मांगी। आज्ञा मांगने पर मुनि के कानों पर चिंटी रंगने लगी तथा उन्हें आत्मज्ञान हुआ। अपने को पापमार्ग में पहुंचाने का एक मात्र कारण अप्सरा मंजूषा को समझकर मुनि ने उसे क्रोधित होकर पिशाचनी होने का शाप दिया।

शाप सुनकर मंजुघोषा वासु द्वारा प्रताड़ित कदली वृक्ष की भांति कांपते हुए मुक्ति का उपाय पूछा। तब मुनि ने पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। वह मुक्ति विधान बताकर मेधावी ऋषि पिता च्यवन के आश्रम में गये। शाप की बात सुनकर च्यवन ऋषि ने पुत्र की घोर निंदा की तथा उन्हें भी पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने की आज्ञा दी। इस एकादशी के व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा ने पिशाचनी योनि से तथा मेधावी ऋषि ने पाप से मुक्ति प्राप्त की।